दुपहरी में आँख से टपकता है लहू
समुन्द्र किनारे टहलता
बैशाखी लिए एक अपाहिज
और उसके पास ही
एक बच्चा चुपचाप
मिटटी का घरोंदा बनता[..]
8 अक्टूबर , 2022
8 अक्टूबर , 2022
दुपहरी में आँख से टपकता है लहू
समुन्द्र किनारे टहलता
बैशाखी लिए एक अपाहिज
और उसके पास ही
एक बच्चा चुपचाप
मिटटी का घरोंदा बनता[..]
8 अक्टूबर , 2022
सुनो प्रिये !
मैंने
अपने पूरे होश में
तुम्हारे नाम
वसीयत में लिख दिया
सम्पूर्ण प्रेम
सोचता हूँ
तुम्हारा संवेदनशून्य
मलीन-भावनाविहीन
ह्रदय
नहीं महसूस पायेगा
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7 अक्टूबर , 2022
जानती हो तुम्हारी आँखें
बहुत खूबसूरत और नशीली है..
एक दम डुबो देने वाली..
जैसे छलकता जाम हों
और भी बहुत सी खूबसुरती है
फिर[..]